नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप का केंद्र नेपाल था, जहां 2.28 बजे 5.8 की तीव्रता वाला भूकंप आया, जिसका एहसास दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड व यूपी के कई इलाकों में हुआ।
दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार दोपहर 2.30 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। बताया जा रहा है कि भूकंप के झटके काफी देर तक महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.8 मापी गई है। यह भूकंप न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर बल्कि उत्तराखंड, यूपी के रामपुर में भी महसूस किए गए हैं।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप का केंद्र नेपाल था, जहां 2.28 बजे 5.8 की तीव्रता वाला भूकंप आया, जिसका एहसास दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड व यूपी के कई जिलों में हुआ। जानकारी के अनुसार नेपाल में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे भूकंप का केंद्र था। भूकंप के झटके इतनी तेज थे कि लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए।
An earthquake with a magnitude of 5.8 on the Richter Scale hit Nepal at 2:28 pm today: National Center for Seismology (NCS)
कैसे आता है भूकंप?
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।
भूकंप की तीव्रता
रिक्टर स्केल पर 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप को माइक्रो कैटेगरी में रखा जाता है और यह भूकंप महसूस नहीं किए जाते। रिक्टर स्केल पर माइक्रो कैटेगरी के 8,000 भूकंप दुनियाभर में रोजाना दर्ज किए जाते हैं। इसी तरह 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है। ऐसे 1,000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं इसे भी सामान्य तौर पर हम महसूस नहीं करते। वेरी लाइट कैटेगरी के भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले होते हैं, जो एक साल में 49,000 बार दर्ज किए जाते हैं। इन्हें महसूस तो किया जाता है लेकिन शायद ही इनसे कोई नुकसान पहुंचता है।
लाइट कैटेगरी के भूकंप 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले होते हैं जो पूरी दुनिया में एक साल में करीब 6,200 बार रिक्टर स्केल पर दर्ज किए जाते हैं। इन झटकों को महसूस किया जाता है और इनसे घर के सामान हिलते नजर आते हैं। हालांकि इनसे न के बराबर ही नुकसान होता है।