बीते मई माह में एक बाघिन के शिकारियों के चंगुल में फंसने की बात सामने आने के बाद वन महकमे में हड़कंप मच गया था। बाघिन पेट में धंसे फंदे के साथ कैमरे में कैद हुई थी। इसके बाद कॉर्बेट प्रशासन बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर लाया, जहां वह अब तक चिकित्सकों की निगरानी में है।
विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की कालागढ़ रेंज में शिकारियों के फंदे में फंसी बाघिन को अब ताउम्र शरीर में धंस चुके तार (स्नेयर) के साथ ही जीना होगा। विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों के पैनल ने जांच के बाद सर्जरी से बाघिन के जीवन को खतरा बताया है। इस संबंध में चिकित्सकों के पैनल ने अपनी रिपोर्ट मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक कार्यालय को सौंप दी है।
नैनीताल के रामनगर में स्थित कॉर्बेट टाइगर रिजर्व दुनिया में बाघों के स्वच्छंद विचरण के लिए जाना जाता है। बीते मई माह में एक बाघिन के शिकारियों के चंगुल में फंसने की बात सामने आने के बाद वन महकमे में हड़कंप मच गया था। बाघिन पेट में धंसे फंदे के साथ कैमरे में कैद हुई थी। इसके बाद कॉर्बेट प्रशासन बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर लाया, जहां वह अब तक चिकित्सकों की निगरानी में है।
बाघिन के पेट में धंसे तार को निकालने के लिए वन विभाग की ओर से विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों का पैनल बनाया गया था। इसमें भारतीय वन्यजीव संस्थान के पूर्व वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. प्रदीप मलिक, जीबी पंत विवि के डिपार्टमेंट ऑफ सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. केके दास, भारतीय वन्यजीव संस्थान के डिपार्टमेंट ऑफ वाइल्डलाइफ हेल्थ मैनेजमेंट के एचओडी डॉ. पराग निगम और एनटीसीए की समिति के सदस्य डॉ. मलिक को शामिल किया गया था।
बाघिन के जीवन को खतरा
पैनल ने बाघिन के स्वास्थ्य की कई दिनों तक निग रानी की। कई तरह की जांचों के बाद चिकित्सकों के पैनल ने पाया कि तार (स्नेयर) बाघिन के पेट में भीतर तक धंस चुका है। यदि उसे निकालने के लिए सर्जरी की जाती है तो बाघिन के जीवन को खतरा हो सकता है। इस संबंध में पैनल ने सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू कार्यालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। संभव है कि अब पूरा जीवन बाघिन को ऐसे ही जीना होगा।