केदारनाथ से कांग्रेस प्रत्याशी ने सरकार को जॉर्ज एवरेस्ट के मुद्दे पर घेरा

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विधानसभा केदारनाथ उप चुनाव के दंगल मे कांग्रेस अपने दमदार प्रत्याशी मनोज रावत पूर्व विधायक को उतार चुकी है। वंही इस घोषणा के बाद रावत पत्रकारों से मुख़ातिब हुए। यंहा उन्होंने सरकार पर विफरना शुरू कर दिया, उन्होंने मंसूरी के जार्ज एवरेस्ट का उदाहरण बताकर कहा कि आपको बता सकूं कि कैसे उत्तराखण्ड सरकार राज्य की खरबों की जमीनों को कौड़ियों के भाव अपनी चहेती कंपनियों या समूहों को दे रही है। उन्होंने दो जिलों – हरिद्वार और पौड़ी के डाटा पी0डी0एफ के माध्यम से बताने पर कहा कि एक तरफ सरकार राज्य के बाहरी बड़े लोगों को हजारों बीघा जमीन देकर नए जंमीदार पैदा कर रही थी दूसरी तरफ आज भी हर तहसील में धारा 143 में कृृषि भूमि को अकृृषित करके होटल, लोन लेकर घर बनाने के सैकड़ों मामले पेंडिंग मे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री का ध्यान केंद्रित करने को लेकर कहा कि तहसील केदारनाथ की ऊखीमठ में ही सैकड़ों लोग अपनी जमीन को 143 करने के लिए सालों से एड़ियां रगड़ रहे हैं। याने एक तरफ बाहरी बडे़ लोगों को उपहार में हजारों बीघा जमीनें दी जा रही हैं और राज्य के स्थानीय लोग अपनी 1 नाली जमीन को व्यवसायिक घोषित करने के लिए सालों तक तहसील के चक्कर लगा रहे हैं। कहा कि दूसरा मामला राज्य की सरकारी जमीनों को भ्रष्ट तरीकों से अपनी चहेती कंपयिों को देने का है। आप खोजंेगे तो यह कंपनी भी किसी न किसी रुप में जमीनों को फायदा उठाने वाले समूहों से संबधित निकलेगी।

उत्तराखण्ड राज्य बनते समय ‘‘ पार्क ईस्टेट ’’ की हाथी पांव इलाके में 422 एकड़ भूमि थी। इसमें से 172 एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग ने स्र्व0 एम0सी0शाह परिवार , स्र्व0 सी0पी0शर्मा जो यमकेश्वर के मराल गांव के मूल निवासी थे , अभिनेत्री अर्चना पूरण सिंह के पिता स्र्व0 पूरण सिंह आदि से पर्यटन विकास के लिए 1990 से लेकर 1992 तक अधिगृृहित की थी।
दिल्ली से सबसे नजदीक हिल स्टेशन मंसूरी की यह सरकारी जमीन उत्तराखण्ड की सबसे बेशकीमती जमीनों में एक थी इसलिए देश- विदेश के सारे बड़े उद्योगपतियों और करोबारियों की नजर इस जमीन पर थी। उत्तर प्रदेश के जमाने में समाजवादी पार्टी की सरकार में इस जमीन को एस्सल वर्ड को देने की बात चली थी लेकिन भारी जनविरोध के कारण तब की सरकार ने यह फैसला नहीं लिया।
जो काम उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार नही ंकर पायी थी उसे 19 जुलाई 2023 को उत्तराखण्ड के पर्यटन सचिव / उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सचिन कुर्वे के एक हस्ताक्षर से हो गया। उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने 172 एकड़ में से 142 एकड़ भूमि ( 762 बीघा या 2862 नाली या 5744566 वर्ग मीटर ) ‘‘ राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राईवेट लिमिटेड’’ को केवल 1 करोड़ रुपए सालाना किराए पर इस जमीन पर साहसिक पर्यटन से संबधित गतिविधियों के ओपरेशसन , मैंनेजमैंट और डेवलपमैंट के नाम पर 15 साल के लिए दे दिया।
इस 762 बीघा भूमि याने 5744566 वर्ग मीटर भूमि का सरकारी रेटों से मूल्य आज के समय 2757,91,71,840 रुपया ( 2757 करोड़ के लागभग है। जमीन का यह रेट सरकारी सर्किल रेट के अनुसार है। जमीन का वास्तविक बाजार मूल्य आम तौर पर इसके चार गुना और व्यवसायिक या पर्यटक स्थलों पर 10 गुना तक होता है।

उत्तराखण्ड सरकार के पर्यटन विभाग के काबिल अधिकारियों ने खरबों रुपयें की यह भूमि 15 साल के लिए साहसिक पर्यटन से संबधित किसी भी व्यवसायिक गतिविधि को चलाने के लिए दे दी थी। पर्यटन गतिविधियों में वहां से हैलीकाप्टर संचालन भी था। मेरे केदारनाथ में 10 नाली जमीन से हैली संचालन करने वाली कंपनियां साल का ही 1 करोड़ किराया आदि में देती हैं। इस कंपनी की मांग पर पर्यटन विभाग ने समझौता हस्ताक्षरित करते समय शर्तों में एक बिंदु और जोड़ दिया जिसके अनुसार 15 साल काम करने के बाद भी यदि पर्यटन विभाग इस भूमि को फिर से इन गतिविधियों के लिए किसी कंपनी को देना चाहता हो तो उस समय भी उसे सबसे पहले इसी कंपनी को देना ही होगा। इस तरह उत्तराखण्ड के सबसे कीमती इस भूमि को उत्तराखण्ड सरकार के काबिल अधिकारियों ने हमेशा के लिए इस कंपनी को देने का पूरा कानूनी इंतजाम उत्तराखण्ड सरकार के काबिल अधिकारियों ने कर दिया। आप सभी सालों से पत्रकारिता कर रहे हैं इसलिए आप जानते हैं कि, किसी अधिकारी की इतनी हैसियत नहीं होती कि अपने दम पर इतना बड़ा निर्णय ले ले। कंपनी को यह काम देने का रास्ता राज्य की कैबिनेट के एक निर्णय के बाद हुआ याने इस जमीन के सौदे में पूरी सरकार सम्मलित थी।

जिस भूमि को 15 साल के लिए 1 करोड़ सालाना किराए में दिया गया उस भूमि का देने के लिए हुए टेंडर के वित्तीय वर्ष में ही पर्यटन विभाग ने उस भूमि पर एशियाई विकास बैंक से 23 करोड़ रुपए कर्ज लेकर उसे विकसित किया था। उत्तराखण्ड पर्यटन विभाग के काबिल अधिकारी ही बता सकते हैं कि, कर्जे के 23 करोड़ खर्च कर जमीन का सजा-धजा कर उसकी सारी कमियां दूर कर 15 साल के लिए राज्य की अरबों की जमीन देकर किराए के रुप में 15 करोड़ कमाने का ये कौन सा विकास का माडल है। सूचना अधिकार में मिली जानकारी से पता चला है कि, कर्जे के 23 करोड़ रुपए के काम में से भी 5 करोड़ रुपए के काम तो जमीन पर कहीं हुए ही नहीं , जो काम हुए हैं वे भी बेहद घटिया काम हैं। ये काम भी उत्तराखण्ड में काम कर रही एक बड़ी दागी कम्पनी ने किया था। यह कम्पनी भी एक मंत्री जी से संबधित कई विभागों में अरबों के काम कर रही है।

‘‘राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राईवेट लिमिटेड’’ को जिस टैंडर के माध्यम से यह काम दिया गया उस टेंडर की सारी प्रक्रिया ही इस कम्पनी को लाभ पंहुचाने के लिए किया गया देश के सबसे बड़े घोटालांे में से एक था। तीनों कम्पनियों के ‘‘बुक आफ एकांउटस ’’ के एक ही कार्यालय एक ही स्थान- द्वितीय फलोर दीक्ष भवन पतंजलि योग पीठ- 1 महर्षि दयानंद ग्राम , निकट बहादराबाद हरिद्वार में हैं। इन तीनों कम्पनियों के कार्यालय, डाइरैक्टर या उनके पते किसी न किसी रुप में एक दूसरे से बहुत नजदीक से जुड़े हैं। ‘‘राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राईवेट लिमिटेड’’ का पता ग्राम – भौन , नीलकंठ पट्टी उदयपुर तल्ला- 2 , यमकेश्वर पौड़ी गढ़वाल का है। आप सभी लोग पौड़ी गढ़वाल के इस गांव से पता कर सकते हैं कि इस गांव में कितनी पर्यटन गतिविधियां हो रही हैं और उससे कितने उत्तराखण्डियों को रोजगार मिला है। इस टेंडर को प्रकाशित करते समय पर्यटन विभाग ने टेंडर में भाग लेने के लिए कड़ी शर्तें रखी थी लेकिन ठीक टैंडर के दिन अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी , यू0टी0डी0बी0 कर्नल अश्विनी पुंडीर के एक साधारण आदेश द्वारा एम0एस0एम0ई0 कम्पनियों को भी इस टेंडर में भाग लेने की अनुमति दे दी। अब कोई भी बता सकता है कि बिना अनुभव के स्टार्ट अप कंपनियां कैसे इस उत्तराखण्ड में पर्यटन विकास कर सकती हैं ?

इस तरह खरबों की इस भूमि को 15 साल के लिए देने के लिए किए गए टेंडर में भाग ले रही तीनों पारिवारिक कपंनियों में से एक ‘‘ राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राईवेट लिमिटेड’’ ही सभी शर्तों को पूरा करती थी। उसके समर्थन में उतरी दो नई कम्पनियां कोई शर्तें पूरा नहीं करती थी। ये दोनों कम्पनियां किसी न किसी रुप में राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राईवेट लिमिटेड से जुड़ी थी।
टेंडर की प्रक्रिया के सामान्य जानकार भी जानते हैं कि, यदि टेंडर में तीन से कम कंपनियां भाग ले रही हैं तो उसे निरस्त किया जाना चाहिए। टेंडर के दिन शर्तों में परिवर्तन इसी लिए किया गया कि , राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राईवेट लिमिटेड को टैंडर देने के लिए उसके समर्थन में दो कम्पनियों को खड़ा कर उसे अरबों की जमीन दी जा सके। टेंडर के दिन टेंडर की शर्तों में परिवर्तन कर दो अयोग्य कम्पनियों को टेंडर में भाग लेने की अनुमति देना उत्तराखण्ड सरकार के वित्त अनुभाग- 7 के 14 जुलाई 2017 की उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति (प्रक्योरमैंट) नियमावली 2017 का उल्लंघन था। इस कम्पनी को जमीन देने की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी उस पटकथा में भी बहुत ही बड़ा घोटला और नियम विरुद्ध कार्य पर्यटन विभाग ने कर दिए थे उनका खुलाशा करने के लिए कई दिन चाहिए हैं।
इस तरह उत्तराखण्ड की मंसूरी जैसे हिल स्टेशन में खरबों की जमीन एक बेनामी सी कम्पनी जिसका संबध उत्तराखण्ड में जमीनों के सबसे बड़े सौदागरों में से एक ग्रुप से है को उत्तराखण्ड सरकार के काबिल अधिकारियों ने पर्यटन विकास के नाम पर दे दी। 2018 में उत्तराखण्ड जंमीदारी विनाश अधिनियम में जो दो परिवर्तन किए गए उसका सबसे बड़ा फायदा उठाने वाला भी यही समूह है।

जमीन को कब्जे में लेने के बाद इस र्दुदांत कम्पनी ने सबसे पहलें इस जमीन साथ लगी जमीनों और मकानों तक जाने वाले 200 साल से भी पुराने रास्ते को बंद कर दिया। जिसे खुलाने के लिए स्थानीय निवासी आज भी संघर्ष कर रहे हैं। कंम्पनी तीन घंटे की पार्किग के लिए ही 400 रुपए वसूलती है और इस सड़क पर चलने के लिए 200 रुपए प्रति व्यक्ति लेती है।
कंपनी ने इस जमीन से जो कि , विनोग हिल वल्र्ड सैंचुरी में पड़ती है से बिना अनुमति के व्यवसायिक हैलिकाप्टर संचालन किया आज भी इस भूमि से हैलिकाप्टर संचालन हो रहा है। इस भूमि पर जार्ज एवरेस्ट हाउस जैसी बेशकीमती हेरिटेज प्रापर्टी भी है।

सरकार ने पिछले साल केदारनाथ के लिए भी ‘‘ राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राईवेट लिमिटेड’’ को अकेले हैलिकाप्टर उड़ाने की अनुमति देने की कोशिस की थी लेकिन विरोध के बाद इस विचार को बदल दिया। सरकार की नजर मंसूरी के बाद रुद्रप्रयाग जिले के स्विटजरलैंड के नाम से जाने जाने वाले चोपता की जमीन पर है इसीलिए वहां स्थानीय बेरोजगार युवकों को उजाड़ने का काम किया जा रहा है।

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