तीज पर्वों का महत्व: अनिता ममगाईं का संदेश

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ऋषिकेश। तीर्थ नगरी के विभिन्न आश्रमों में शनिवार को श्री गोवर्धन पूजा का महोत्सव बड़े ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास से मनाया गया। सर्वप्रथम गौ माता की पूजा की आरती की, 56 भोग लगाया गया और परिक्रमा कर उनका आशीर्वाद लिया। शनिवार को आयोजित गोबर्धन पूजा में नि. महापौर अनिता ममगाईं ने इस पावन पर्व पर बिभिन्न मंदिरों और आश्रमों में जाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना की और आशीर्वाद लिया। सबसे पहले वे दंडी वाड़ा आश्रम, फिर रामानंद आश्रम, दुर्गा मंदिर देहरादून रोड, भूरी माई धर्मशाला, जय राम आश्रम, त्रिवेणी घाट आयोजित भंडारा, फिर आवास विकास पहुंची। इस दौरान उन्होंने आम जन से भी मुलाकात की और पर्व पर बधाई और शुभकामनायें दी। ममगाईं ने कहा, भगवान को अभिमान बिल्कुल भी पसंद नहीं है

इंद्र को अपना अभिमान था 7 दिन लगातार बारिश हुई थी, लेकिन भगवान ने अपनी एक छोटी सी उंगली में गोवर्धन पर्वत को उठाकर उन्होंने गोवर्धन वासियों की रक्षा की । क्योंकि भगवान कभी घमंड अभिमान पसंद नहीं करते । आज के समय इन बातों को समझने की जरुरत है। युवा पीढ़ी हमारे तीज पर्व को आगे आ कर मनाएं। इनमें अहम सन्देश होता है। इससे उनको हमारी देश की महान सनातन परम्परा के बारे में तो रूबरू होने का मौका मिलेगा ही साथ ही हमारी तीज पर्वों को अगली पीढ़ी के लिए सीखने के अवसर भी पैदा होते रहेंगे। आज के दिन, पूजा में लोग भगवान श्री कृष्ण से आराधना करके खुशहाल जीवन की कामना करते हैं। इस भोग का आधार यह मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर गोकुल वासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था। इस दौरान प्रातःकाल भगवान गोवर्धन को विधिवत पूजा अर्चना के बाद 56 भोग लगाया गया।

आपको बता दें, दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में बहुत महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा की जाती है।

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